Aarti kunj bihari ki lyrics ek sundar bhakti geet hai jo Bhagwan Krishna ke liye hai, jinhe Hindu dharm mein sabse pyaare devtaon mein se ek maana jaata hai. Is aarti ke bol Bhagwan Krishna ke sundar, anmol gunon ki tareef karte hain aur unke vibhinn avataron aur gunon ki stuti karte hain.
Table of Contents
Aarti kunj bihari ki lyrics
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावे मुरली मधुर बाला॥
श्रवण में कुंज मला की, कर में शंख बजावे घंटा॥
वृंदावन चंद्र चढ़ो, राधा कुंज बिहारी की॥
अतुलित बल धामम हेम शैलाभदेहम्।
दनुज वनकराम नमामि कृष्ण स्वामिन्॥
जय कन्हैया लाल की, जय गोपाल गोपाल की॥
जय राधा मधव कुंज बिहारी की॥
श्री यमुना तीरे वनवासी, हरि अवलोकन कीजै।
भवबीज हारी हरि अवलोकन कीजै॥
जय कन्हैया लाल की, जय गोपाल गोपाल की॥
जय राधा मधव कुंज बिहारी की॥
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंज बिहारी की॥
Play On Youtube
FAQ
आरती कुंज बिहारी की किसे समर्पित है?
आरती कुंज बिहारी की भगवान कृष्ण को समर्पित है।
इस आरती को कब पढ़ा जाता है?
आरती कुंज बिहारी की दिन में कई बार पढ़ी जाती है, जैसे कि सुबह और शाम में।
इस आरती का महत्व क्या है?
इस आरती के पढ़ने से भक्त के मन में शांति, समृद्धि और सुख का आभास होता है। इसके अलावा, इस आरती के पढ़ने से भगवान कृष्ण की कृपा मिलती है।
इस आरती को कैसे पढ़ें?
आरती कुंज बिहारी की को पढ़ने के लिए एक शुद्ध और साफ मन वाला भक्त रहना चाहिए। सबसे पहले, धुनी का आग जलाकर शुद्ध घर में आरती करनी चाहिए। फिर आरती के लिए दिये और फूल लेकर भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने जाना चाहिए। फिर आरती गाने के बाद, आरती कर्ता को फूलों से चढ़ाई देनी चाहिए।
Suggested Holi Bhajan Lyrics